श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥ चारों जुग परताप तुह्मारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥ साधु सन्त के तुम रखवारे ।
कानन कुण्डल कुञ्चित केसा ॥४॥ हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
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व्याख्या — श्री हनुमन्तलाल जी समग्र विद्याओं में निष्णात हैं और समस्त गुणों को धारण करने से ‘सकल–गुण–निधान’ हैं। वे श्री राम के कार्य सम्पादन हेतु अत्यन्त आतुरता (तत्परता, व्याकुलता) का भाव रखने वाले हैं। क्योंकि ‘राम काज लगि तव अवतारा’ यही उद्घोषित करता है कि श्री हनुमान जी के जन्म का मूल हेतु मात्र भगवान् श्री राम के हित कार्यों का सम्पादन ही है।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥
Rama may be the king of all, he is definitely the king of yogis. You more info managed all his duties, or in other translation, He whoever takes refuge in Rama you may manage all their responsibilities.
kāndheKāndheShoulder mūnjiMūnjiMunja grass janeūJaneūSacred thread sājaiSājaiAdorn That means: You may have the vajrayudha (mace) and flag/banner as part of your fingers; sacred-thread fabricated from the munja grass decorates your shoulder.
tina keTina keWhose / his kājaKājaWork / undertaking sakala SakalaAll tumaTumaYou sājāSājāCarried / do That means: Lord Rama will be the king of all ascetics and he who requires refuge to him, you may control/handle all their duties/operates.
व्याख्या – उपमा के द्वारा किसी वस्तु का आंशिक ज्ञान हो सकता है, पूर्ण ज्ञान नहीं। कवि–कोविद उपमा का ही आश्रय लिया करते हैं।
व्याख्या – संसार में मनुष्य के लिये चार पुरुषार्थ हैं – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। भगवान के दरबार में बड़ी भीड़ न हो इसके लिये भक्तों के तीन पुरुषार्थ को हनुमान जी द्वार पर ही पूरा कर देते हैं। अन्तिम पुरुषार्थ मोक्ष की प्राप्ति के अधिकारी श्री हनुमन्तलाल जी की अनुमति से भगवान के सान्निध्य पाते हैं।
बालाजी आरती
भावार्थ – अनन्त काल से आप भगवान श्री राम के दास हैं। अत: रामनाम-रूपी रसायन (भवरोग की अमोघ औषधि) सदा आपके पास रहती है।